मुजफ्फरनगर में मिड डे मील में चूहा निकलना 'चूक' है मगर हाल इससे भी बुरा है!
मुजफ्फरनगर-
मुजफ्फरनगर के एक गांव मुस्तुफाबाद पचेन्डा में जनता इंटर कॉलेज के प्राइमरी विंग में छोटे बच्चों को परोसे गए मिड डे मील में निकले चूहे के मामले ने तूल पकड़ लिया है।समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यादव ने इस घटना के बाद सरकार की मिड डे मील वितरित करने की व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े किए हैं।
यूपी में मिड डे मील व्यवस्था लगातार सवालों के घेरे में है,बच्चों को नमक रोटी वितरित करने,हल्दी का पानी दाल बताकर देने के बाद अब मुजफ्फरनगर में मिड डे मील में मरा हुआ चूहा निकला है।इससे पहले दूध में कई गुना अधिक पानी मिलाने का भी मामला प्रकाश में आया था।
मुजफ्फरनगर में मिड डे मील में चूहा वाला खाना खाने के बाद 9 बच्चों की तबियत बिगड़ गई।कॉलेज में जनकल्याण सेवा समिति के माध्यम से खाना परोसा जाता है।सोमवार को दोपहर में बच्चों को खाना परोसते समय खाने के अंदर से चूहा निकला।
बच्चों के मुताबिक तब तक कुछ बच्चें और एक शिक्षक खाना चख चुके थे इसके बाद इन्हें उल्टी होने लगी।
इसके बाद मिड डे मील के जिला कोर्डिनेटर विकास त्यागी जांच करने पहुंचे और खाना सील कर दिया गया।बीएसए रामसागर तत्रिपाठी ने मामले की जांच कराने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया।जबकि लोगो का आक्रोश बढ़ गया।स्कूल के प्रधानाचार्य विनोद कुमार ने के अनुसार 9 बच्चें और एक शिक्षक को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
गौरतलब है उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालय लगातार गुणवत्ता को लेकर आलोचना के केंद्र में है।हाल ही सरकार की शिक्षकों के संपर्क में रहने की डिजिटल एप प्रेरणा को लेकर खासी असहमति की आवाज़ें सुनाई दी है।इसके अलावा कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी अब तक सभी बच्चों को स्वेटर नही मिले हैं।
हाल फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा में आई मिड डे मील व्यवस्था के साथ कोढ़ में खाज यह है अब मिड डे मील वितरण के समय ज्यादातर विद्यालय मुख्य दरवाज़े में अंदर से ताला डाल देते हैं।मुजफ्फरनगर के जिस स्कूल में खाने में चूहा निकला वहां 250 बच्चों को खाना परोसा जाना था।बीमार हुए एक छात्र के पिता सुनील कुमार के मुताबिक उन्हें उनके बेटे ने बताया कि "दाल के कंटेनर में चूहा पड़ा था तब तक लगभग 15 बच्चों को खाना दिया जा चुका था अब हमें अपने बच्चें को मिड डे मील में खाना खिलाने के बारे में गंभीरता से सोचना होगा"।
मुजफ्फरनगर के बीएसए रामसागर त्रिपाठी के अनुसार खाना नई मंडी स्थित संस्था के कार्यलय से बनकर आया था।हम इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने जा रहे हैं।समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता राकेश शर्मा के मुताबिक उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार हर क्षेत्र में नाकामयाब हो चुकी है।खासकर प्राथमिक शिक्षा के मामले में यह सबसे ख़राब सरकार है।सरकार ने निजी संस्थाओ को अपनी सुविधा के अनुसार अनुबंध किया है।संस्थाओं ने 'सैटिंग'के जरिए ठेका हासिल किया है।निश्चित तौर पर इसमे गुणवत्ता में समझौता हो रहा है।अब जब जमकर भ्रस्टाचार होगा तो इस तरह की खामियां तो आएंगी।
बता दें कि इस स्कूल में आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों के बच्चें भी पढ़ते हैं।जिनमें अधिकतर किसान है।जबकि ऐसे स्कूल भी है।यहां गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चें पढ़ते हैं।इनकी स्थिति और भी खराब है।
एक दूसरे गांव मुझेड़ा सादात के सामाजिक कार्यकर्ता मेहरबान के मुताबिक उन्होंने हमेशा अपने गांव के स्कूल का दोपहर में ताला लगा देखा है।अक्सर सुबह बच्चें सुबह स्कूल में झाड़ू लगाते भी दिख जाते हैं।
ध्यान रहे यूपी में स्कूल में नमक रोटी का खुलासा करने वाले पत्रकार ,झाड़ू लगाने का खुलासा करने वाले एक दूसरे पत्रकार पर भी मुकदमा दर्ज हो चुका है।हालात यह है अध्यापकगण अब मिड डे मील योजना पर बात करने से बचते हैं और बहाना बनाते हैं।
पूर्व शिक्षक दयाचंद भारती बताते हैं"इन स्कूलों पर ज्यादातर दलितों और अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं।यह सभी गरीब घरों से आते हैं।सरकार एक बच्चें को मिड डे मील में 4 रुपये 48 पैसे देती है।अब इस पैसे में बच्चा क्या कुछ खा सकता है!आप समझ लीजिए!
पहले कुछ समय मिड डे मील खत्म करने की भी चर्चा हुई थी।अब सरकार ने प्रयोग के तौर पर कुछ जगह पर एनजीओ को काम सौंपा है।मगर एनजीओ के काम की बानगी मुजफ्फरनगर में छात्रों की दाल में चूहा निकलने से हो चुकी है।